Thursday 13 October 2016

मोहब्बत

तुम्हारे ईश्क का खुमार कुछ ऐसा चढ़ा है मुझपे,

हर शख्स को लगने लगा है मुझे उससे मोहब्बत है !

Sunday 9 October 2016

मिरास

तुझे बेधड़क देखना तो बन गई रिवायत,
मेरी ये नज़म इस मोहब्बत की गवाह रहेगी,
जब से देखा है तुझको नींद नही आँखो में ,
ज़िस दिन से तुझे ना देखू तो शिकायत होगी,
वजह है तेरा वजूद मेरे ख्वाबीदा होने का ,
बेरब्त है बाते, मुकम्मल ख्वाबो में होगी ,
तुम न समझो की मुझे ईश्क ए अजीयत है ,
तुम्हारी नवाजिश मेरे एहसास की मिरास बनेगी,
मेरे करीब आने से ईमान तुम्हे रोकता है ,
तर्ज ए ज़िन्दगी पाकीजा तेरे नाम की तरह रहेगी!