Thursday 13 October 2016

मोहब्बत

तुम्हारे ईश्क का खुमार कुछ ऐसा चढ़ा है मुझपे,

हर शख्स को लगने लगा है मुझे उससे मोहब्बत है !

Sunday 9 October 2016

मिरास

तुझे बेधड़क देखना तो बन गई रिवायत,
मेरी ये नज़म इस मोहब्बत की गवाह रहेगी,
जब से देखा है तुझको नींद नही आँखो में ,
ज़िस दिन से तुझे ना देखू तो शिकायत होगी,
वजह है तेरा वजूद मेरे ख्वाबीदा होने का ,
बेरब्त है बाते, मुकम्मल ख्वाबो में होगी ,
तुम न समझो की मुझे ईश्क ए अजीयत है ,
तुम्हारी नवाजिश मेरे एहसास की मिरास बनेगी,
मेरे करीब आने से ईमान तुम्हे रोकता है ,
तर्ज ए ज़िन्दगी पाकीजा तेरे नाम की तरह रहेगी!

Monday 26 September 2016

चाहते

रूखसत-ए-वक्त है अब, होगी अगली मुलाकात,
एक झलक के लिए चाहते उसके इर्द-गिर्द घुमती है,
आँखों  से करता है बातें, जुबां से रहता  ख़ामोश ,
वोह जब सामने आए तो मेरी पलकें झुक जाती है,
वस्ल की शाम    या खुदा अब हो जाए मुकर्रर,
इस इंतजार में मेरी हर शाम   तन्हा गुजर जाती है!

Friday 29 July 2016

मूसाफिर

दर - ब - दर भटकती रहती हॅू,
इस मूसाफिर को कही ठिकाना नहीं मिलता!
तेरी चौख़ट पर कितनी मरतबा मैं आई,
सिवाय फटकार के कुछ नहीं मिलता!
सागर में भी न जाने कितनी बुंदे हैं,
लहरे मिलती हैं साहिल नहीं मिलता!
यह मज्ञमा भी तो तेरा अपना हैं,
मिलते हैं दुश्मन मुझे दोस्त नहीं मिलता!
तुमने कभी पुछा नहीं वरना बताती,
लगती हैं जमाने की ठोकर, मरहम नहीं मिलता!
मैं नहीं काबिल घर की सज़ावट के,
कहते हैं सब, कोई ऐहतेजाज़ नहीं मिलता!
मैं तो बोझ हूँ तुमपे हर वक़्त,
मिला हैं अच्छा दोस्त, तु नहीं मिलता!
अब तो तुझे पाना भी नामुमकीन हैं,
सब कुछ मिलता हैं इस दुनिया मे जिसे चाहो वो नहीं मिलता!
तुम खुश रहो मुझे भी भूल जाओ,
तुमको मिलेगा विऱाना मुझसे रंग नहीं मिलता!
मैं तो हूँ बंजारा मुझे तनहा हैं जीना,
मिलती हैं मंजिल मुझे घर नहीं मिलता!
तुम तो मसरूफ हो अपनी जिंदगी में,
मेरे लिये हीं क्यों वक़्त नहीं मिलता!